बहुत दूर तक जाना पढता है,
सिर्फ इतना जानने के लिए,
की अपना कौन है, और पराया कौन
शीशे के सामने खड़े होकर, खुद से ये वादा जरूर करना.
की कभी अशांत होकर, खुद को घायल मत करना.
निराशा हमेशा अतीत में रहने से आती है,
और शांतचित लोग हमेशा, आज में रहते है…!
अगर आती शांति राजनीती या आर्थिक बदलाव से,
तो नींद की दवाएं, घरो में ना होती..!
जब समय बीतने पर भी, कोई फर्क नहीं पड़े,
तो समझ जाना, शांति पाने के बहुत पास है आप..!
समझ लीजिये उस व्यक्ति को, जीत के एक कदम और समीप,
जिसने कर लिया हो, खुद को युद्ध के पहले शांत..!
नहीं मारे गए है, शेकडो लोग युद्धों में बेवजह ही,
शायद फिर किसी ने, अशांत होकर कुछ निर्णेय लिया होगा..!
बहुत कठिन है, शांति पाने का सफर,
जो आधे तक भी पंहुचा, वह सफल हो गया..!