Gautam Buddha Stories in Hindi

दोस्तों हम सभी अपने अपने जीवन में सफल बनना चाहते है,
मगर सफलता पाने के लिए बहुत परिश्रम के साथ
कुछ गुणों और आदतों का होना भी जरुरी है,
जिस गुण की हम बात करने जा रहे है, ये गुण आप सभी सफल लोगो में देख सकते है.
इस कहानी में में आपको इसी एक गुण के बारे में बताने जा रहा हु,
कहानी छोटी सी है, मगर जीवन को सफल बनाने के लिए बहुत जरुरी है,

ये कहानी एक किसान की है
वह अपनी पत्नी और 3 बेटों के साथ, एक गांव में रहता था.
किसान की पत्नी, सुबह चारो को खाना दे देती,
और उसके बाद वह चारो अपने अपने काम पर, निकल जाया करते थे.

किसान और उसके दोनों बड़े बेटे, खेतो में काम पर चले जाते.
और सबसे छोटा बेटा, अपनी पढाई में लग जाता.
कभी कभी वह भी खेतो पर आकर, काम में हाथ बटा देता था.
मगर स्वभाव से तीनो बेटे थे, आलसी ही,
कभी भी कोई काम समय पर ना करना,
हमेशा काम को कल पर टालना, टाल मटोली करना, उनकी आदत बन चूका था

दोपहर में कभी किसान की बीवी, तो कभी उसक सबसे छोटा बेटा,
खेतो में खाना देने के लिए चले जाते.
एक दिन खाना देने के बाद, सबसे छोटा बेटा वापस घर पर आ गया,
और किसान और उसके दोनों बड़े बेटे , पेड़ के नीचे बैठकर, भोजन करने लग गए .
ऐसे ही वह तीनो लोग एक दिन दोपहर में खाना खाना खा रहे थे,
तभी एक जंगली कबूतरों का जोड़ा, उनके खाने पर बीट कर देता है,
और जिस पेड़ के नीचे बेठ कर, वह तीनो खाना खाने खा रहे थे ,
उसी के ऊपर बनाये हुए, अपने घोसले में बेठ जातें है

तीनो खाना खाना छोड़ देते है, और बाप बेटो से बोलता है,
क्यों नहीं तुम दोनों में से कोई, इस पेड़ पर से इन घोसलो को हटा देता है.
में अब बूढ़ा हो रहा हु, में हटा पता तो हटा देता.
इतने में दोनों बेटे बोलते है, पिताजी हम कल से उस वाले पेड़ के निचे बैठकर, खाना खा लेंगे.
और तीनो अपने काम पर लग जाते है.
अब वह तीनो, दूसरे पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाने लग गए.
कुछ समय तक तो ठीक रहा, मगर फिर वही हुआ, जैसे पहले हुआ था.
फिर पेड़ पर बने घोसले में ,से कबूतरों ने बीट कर दी, और उन तीनो का खाना ख़राब हो गया.

अब वह तीनो अगले दिन से, तीसरे पेड़ के नीचे बैठ कर खाना खाने लगे.
जो की उनके खेतो के एक दम बीचो बीच था, और सड़क से बहुत दूर भी था.
इस बार जब किसान का छोटा बेटा खाना देने आया, तो वो अपने पिताजी से पूछता है,
पिताजी आप लोग इतना दूर बैठकर, भोजन क्यों कर रहे है.
पहले तो आप उस पेड़ के निचे बैठकर खाना खाया करते थे .
अचानक से इस पेड़ के नीचे खाना खाने का क्या क्या कारण
उसपे किसान बोलता है, बेटा उस पेड़ पर बहुत कबूतर हो गए है, जब भी हम खाना कहते है,
वह बीट कर देते है, और हमारा भोजन ख़राब हो जाता है,
इस लिए हम लोगो ने यहाँ भोजन करना शुरू कर दिए .

किसान अपने छोटे लड़के को ये सब बता ही रहा था,
इतने में कबूतर ने सबसे छोटे लड़के के ऊपर बीट कर दी.
ये देखकर किसान को बहुत गुस्सा आया और वह अपने तीनो बेटो से बोलता है,
की अब में खेतो पर काम करने तब ही आऊंगा
जब तुम तीनो पेड़ो के ऊपर से, घोसलो को हटा देंगे.
और किसान गुस्से में अपने घर आ जाता है.

ये देखकर किसान के तीनो बेटे, आपस में बात करते है की कोई नहीं,
कल पिताजी का गुस्सा शांत हो जायेगा.
अब कौन इतने ऊंचे पेड़ो पर चड़कड़, कबूतरों का घोसला हटाएगा. `
और वो आपस में गप्पे मारने लग जाते है , और शाम को वापस घर चले जाते है,
उनकी ये सब बातें कबूतर बहुत ध्यान से सुन रहे थे. और आपस में बात करते,
की कितने कामचोर लोग है, हम इनका भोजन ख़राब कर देते है. और ये लोग कुछ करते भी नहीं है.

इतने में एक दूसरा कबूतर बूढ़े कबूतर से पूछता है,
की कही ये कल पेड़ काट तो नहीं देंगे.
तो बूढ़ा कबूतर बोलता है नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा, बेफिक्र रहो,
ये हमारे घोसलो को कुछ नहीं करेंगे.

अगले दिन किसान की पत्नी, सबको सुबह सुबह भोजन खिला रही होती है,
तभी किसान उसके तीनो बेटो से बोलता है,
की आज तुम तीनो, सारे पेड़ों पे से घोसलों को हटा देना.
वे तीनो खेतो पर चले जाते है, और तीनो में से कोई भी उन घोसलो को नहीं हटाता,
और शाम को जब वो तीनो वापस आते है, तो बात तो टाल देते है,
की पिताजी आज खेत पर बहुत काम था, हमे समय ही नहीं मिला.
तो किसान बोलता है, कोई बात नहीं, तुम कल पेड़ों पर से उन घोसलो को हटा देना.
जब ऐसा कई दिनों तक चलता रहा,
उसके बेटे घोसलो को हटाने का काम टालते गए.
तो किसान अपने मजदूरों से बोलता है की,
कल तुम लोग खेतो में जाना और खेतो में सड़क की किनारे जितने भी पेड़ है,
उन सब पर से घोसलो को हटा देना.
अगले दिन जब उस किसान के बेटे और मजदूर खेतो में आते है,
और पेड़ों की उचाई देखकर, वह भी काम से जी चुराने लगते है.
ये सब बूढ़ा कबूतर देख रहा था, की अब तो किसान भी खेतो में नहीं आता.
अब हमारे घोसले सुरक्षित है.

ऐसा कई दिनों तक चलता रहता है, पहले किसान के बेटे, और अब मजदूर,
कोई भी उन घोसलो को हटाने का काम नहीं कर रहा होता है.
बस खेतो पर कुछ काम करने का बहाना बनाते, और वापस आ जाते.
ऐसा कई और दिनों तक चलता रहा.
और ये सब देखकर बूढ़ा कबूतर और शांत हो जाता, की हमारे घोसले सुरक्षित है.

ऐसा करते करते पूरा एक महीना बीत गया,
और एक दिन किसान सुबह से यही सोचते सोचते दोपहर हो जाती है,
अब किसान को बहुत गुस्सा आता है, और वह अपने खेतो में पहुंच जाता है,
जहा पर उसके बेटे और मजदूर, कुछ काम करते करते और गप्पे मारते दिखाई देते.

किसान बिना कुछ बोले, उनके पास से गुज़र जाता है
और पुरे खेत का चक्कर लगाने लग जाता है ,
यह देखकर उसके बाचे और मजदूर आपस में बात करते है की,
पिताजी को क्या हुआ, वह ऐसी चक्कर क्यों लगा रहे है.
वही पर बूढ़ा कबूतर उस किसान को देख रहा होता है, की आज किसान ये कर क्या रहा है,
वो चक्कर क्यों लगा रहा है.

चक्कर लगाने के बाद, किसान मजदूरों और अपने बेटो से कहता है की,
कल तुम लोगो में से कोई भी, खेत पर ना आये,
और ये बोलकर वहा से चला जाता है,
ये सब बातें सुनकर, बुद्धा कबूतर चिंतित हो जाता है.
क्युकी उसको पक्का विस्वास था की, कल ये किसान सभी पेड़ों पर से घोसलो को हटा देगा,
वे सभी और कबूतरों से बोलता है की, सभी कबूतर अपने आपने घोसलो को छोड़ दे,
और पास ही के दूसरे खेत पर घोसला बनाले.

आप सबके अंडो में से अब बच्चे निकलकर अब बड़े भी हो चुके है.
तो कोई दिक्कत भी नहीं होती.
क्योंकि कल किसान घोसलो को हटाने काटने के लिए जरूर आएगा

किसान के जाने के बाद, मजदूर और किसान के बेटे भी, घर पर वापस चेले आते है.
और बूढ़ा कबूतर अपने झुण्ड के साथ,
पास के दूसरे खेत पर अपना घोसला बनाने लग जाता है

अगले दिन सुबह सुबह किसान अपने खेत पर आ जाता है.
और एक एक करके सड़क के किनारे जितने भी पेड़ लगे थे
सब पर से घोसलो को हटा देता है,
और कुछ पेड़ जो ज्यादा उचाई पर थे उन्हे काट देता है.
ये सब बड़ा कबूतर और उसके झुण्ड के कुछ बड़े कबूतर देख रहे थे,
वह ये सब देखकर बहुत खुश हुए,
क्युकी उन्होंने तो सभी घोसलो को, एक दिन पहले ही हटा लिया था.

उनमे से एक कबूतर उस बूढ़े कबूतर से पूछता है,
की आप को कैसे पता चले की, कल ये किसान सभी घोसलो को हटा देगा.
वे बूढ़ा कबूतर कहता है की ,

किसान ने अपना बहुत समय, दूसरों पर निर्भर रहकर बर्बाद कर दिया है
और जब उसने उस दिन पूरे खेत का चक्कर लगाया
और अगले दिन जब अपने मजदूरों और बेटो को खेत पर आने से मन कर दिया ,
में तब ही समझ गया की, अगले दिन से ये किसान सारे पेड़ों पर से घोसलो को हटा देगा.

पहली बार किसान घोसलो को हटाने के लिए, अपने तीनो बेटो पर निर्भर था,
दूसरी बार काम को पूरा करने के लिए, वो मज़दूरों पर निर्भर था,
इसी के चलते उसको सिर्फ इतना काम करने में इतना समय लग गया.
किसी और पर निर्भर ना होके किसान, अगर किसान खुद से काम करने का सोचता तो,
उसका इतना समय बर्बाद ना होता.

अगर आप हद से ज्यादा किसी पर अपने काम कराने के लिए आश्रित होंगे,
तो आपके काम कभी नहीं हो पायेंगें.
लेकिन जिस बार किसान ने सोचा की ये काम वो खुद से ही करेगा,
उसको घोसलो को हटाने में एक दिन भी नहीं लगा.

दोस्तों बिलकुल इसी तरह हम भी,
अपना कोई भी काम दुसरो पर निर्भर रहकर पूरा नहीं कर सकते
आप आलसी तो बनोगे ही, साथ ही आप ज़िन्दगी में भी पीछे रह जायेगें.
हमेशा खुद मेहनत करे, और अगर आपका काम ना हो पाए तो
किसी और से मदद मांगने में बिलकुल हिचकिचाएं नहीं.
क्युकी अगर आपको ज़िन्दगी में आगे बढ़ना है तो
खुस से काम ना ही किसान की तरह गलती करे
और दुसरो पर निर्भर होकर अपने समय बर्बाद.
ऐसा करके आपको हमेशा सफलता मिलेगी.
दोस्तों बिलकुल इसी तरह हम भी,
अपना कोई भी काम दुसरो पर निर्भर रहकर पूरा नहीं कर सकते
आप आलसी तो बनोगे ही, साथ ही आप ज़िन्दगी में भी पीछे रह जायेगें.
हमेशा खुद मेहनत करे, और अगर आपका काम ना हो पाए तो
किसी और से मदद मांगने में बिलकुल हिचकिचाएं नहीं.
क्युकी अगर आपको ज़िन्दगी में आगे बढ़ना है तो
खुस से काम ना ही किसान की तरह गलती करे
और दुसरो पर निर्भर होकर अपने समय बर्बाद.
ऐसा करके आपको हमेशा सफलता मिलेगी.
दोस्तों बिलकुल इसी तरह हम भी,
अपना कोई भी काम दुसरो पर निर्भर रहकर पूरा नहीं कर सकते
आप आलसी तो बनोगे ही, साथ ही आप ज़िन्दगी में भी पीछे रह जायेगें.
हमेशा खुद मेहनत करे, और अगर आपका काम ना हो पाए तो
किसी और से मदद मांगने में बिलकुल हिचकिचाएं नहीं.
क्युकी अगर आपको ज़िन्दगी में आगे बढ़ना है तो
खुस से काम ना ही किसान की तरह गलती करे
और दुसरो पर निर्भर होकर अपने समय बर्बाद.
ऐसा करके आपको हमेशा सफलता मिलेगी.
दोस्तों बिलकुल इसी तरह हम भी,
अपना कोई भी काम दुसरो पर निर्भर रहकर पूरा नहीं कर सकते
आप आलसी तो बनोगे ही, साथ ही आप ज़िन्दगी में भी पीछे रह जायेगें.
हमेशा खुद मेहनत करे, और अगर आपका काम ना हो पाए तो